भगवान श्री कृष्ण की लीला भूमि, मथुरा-वृंदावन, अपनी रंगीन गलियों, ऐतिहासिक मंदिरों और कृष्ण भक्ति की जीवंत धारा के लिए प्रसिद्ध है। होली के पर्व पर यह नगरी एक रंगीन कैनवास में बदल जाती है, जहाँ हर गली और चौक हर्षोल्लास से गूंज उठता है। भक्तों की आस्था, हवा में उड़ते रंगों का जादू और कृष्ण लीलाओं की यादें – मथुरा-वृंदावन की यात्रा एक अद्वितीय अनुभव होती है, जिसे शब्दों में नहीं बयान किया जा सकता।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि मथुरा-वृंदावन की यात्रा केवल यहीं तक सीमित नहीं है? इस क्षेत्र के आसपास कई अनछुए स्थल हैं, जो आपके यात्रा अनुभव को और भी खास बना सकते हैं। आइए, हम कृष्ण की लीला भूमि से निकलकर उसके आसपास के उन खास स्थानों पर चलते हैं, जहाँ इतिहास, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम देखने को मिलता है।
1. रमणरेती (Ramanreti)
मथुरा-वृंदावन की यात्रा के दौरान अगर आप शांति और सुंदरता की तलाश में हैं, तो रमणरेती एक आदर्श जगह है। यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करता है। मथुरा से रमणरेती की दूरी केवल 12 किलोमीटर है, और आप यहां आधे घंटे में पहुंच सकते हैं। यमुना नदी का किनारा इस स्थान की खूबसूरती को और बढ़ा देता है। रमणरेती का इतिहास भगवान कृष्ण से जुड़ा हुआ है, और यहाँ भगवान कृष्ण अपने मित्रों और गोपियों के साथ रासलीला करते थे। आजकल, रमणरेती एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जहाँ आप कई मंदिर और आश्रम देख सकते हैं, जैसे कि रमण बिहारी मंदिर, श्री कृष्ण-बलराम मंदिर, राधा-गोविंद मंदिर और गोवर्धननाथ मंदिर।

2. भरतपुर शहर (Bharatpur City)
मथुरा के दर्शन के बाद, अगर आपके पास समय है, तो राजस्थान के भरतपुर शहर की यात्रा करें। मथुरा से भरतपुर की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है और इसे “राजस्थान का पूर्वी द्वार” कहा जाता है। यहाँ आप लोहागढ़ किले की भव्यता देख सकते हैं, गंगा मंदिर में शिव के आशीर्वाद ले सकते हैं, और भरतपुर पैलेस की खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान एक आदर्श स्थल है, जहां पक्षियों की चहचहाहट आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। अगली बार जब आप मथुरा की यात्रा करें, तो भरतपुर को भी अपने यात्रा कार्यक्रम में शामिल करें। यह छोटा सा शहर आपको बहुत सारी यादगार चीजें प्रदान करेगा।

3. फ़तेहपुर सीकरी (Fatehpur Sikri)
अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं, तो मथुरा से सिर्फ 10 किलोमीटर दूर फ़तेहपुर सीकरी की यात्रा जरूर करें। यह मुग़लकालीन नगरी आपको अपनी भव्यता से मंत्रमुग्ध कर देगी। यहाँ आप बुलंद दरवाजा की ऊँचाई देख सकते हैं, दीवान-ए-खास में राजाओं के दरबार का नजारा ले सकते हैं, और सूफी संत सलीम चिश्ती के मजार पर श्रद्धा अर्पित कर सकते हैं। अकबर के शासनकाल की कहानियाँ इन ऐतिहासिक इमारतों में समाहित हैं। अनूप तालाब की शांति और सौंदर्य का आनंद लें, और सूफी संत सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से अकबर की संतान रत्न की प्राप्ति की कहानियाँ सुनें। फ़तेहपुर सीकरी सिर्फ स्मारक नहीं, बल्कि मुग़लकालीन कला और शिल्पकला का एक जीवंत संग्रहालय है। अगली बार मथुरा की यात्रा पर, इस ऐतिहासिक स्थल को देखने का मौका न छोड़ें।
