नई दिल्ली: हाल ही में संपन्न हुए चुनावों के बाद देशभर में महंगाई का दौर शुरू हो गया है। एक्सप्रेसवे पर सफर करने वाले यात्रियों के लिए एक और झटका तब लगा जब टोल दरों में बढ़ोतरी की घोषणा की गई। इस बढ़ोतरी से आम जनता के साथ-साथ परिवहन उद्योग पर भी असर पड़ेगा।
टोल दरों में बढ़ोतरी
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने विभिन्न एक्सप्रेसवे पर टोल दरों में वृद्धि की घोषणा की है। यह बढ़ोतरी 5% से 10% तक की है, जो विभिन्न श्रेणियों के वाहनों पर निर्भर करती है। नई दरें तुरंत प्रभाव से लागू हो गई हैं। टोल दरों में यह वृद्धि मुख्यतः सड़कों के रखरखाव और नए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए की गई है।
आम जनता पर प्रभाव
टोल दरों में इस वृद्धि का सबसे अधिक असर रोज़ाना एक्सप्रेसवे का उपयोग करने वाले लोगों पर पड़ेगा। कामकाजी लोग, जो दैनिक आधार पर एक्सप्रेसवे से यात्रा करते हैं, उन्हें अब अपनी यात्रा के लिए अधिक पैसे खर्च करने होंगे। इस बढ़ोतरी के कारण लोग अपने यात्रा के खर्चों में कटौती करने पर मजबूर हो सकते हैं।
परिवहन उद्योग पर प्रभाव
परिवहन उद्योग पर भी इस बढ़ोतरी का सीधा प्रभाव पड़ेगा। ट्रक और बस ऑपरेटर्स को अब अधिक टोल चुकाना पड़ेगा, जिससे उनके ऑपरेशनल खर्चों में वृद्धि होगी। इसका प्रभाव अंततः वस्त्रों और सेवाओं की कीमतों पर भी पड़ेगा, जिससे महंगाई का दौर और गहराएगा।
राजनैतिक प्रतिक्रियाएं
टोल दरों में इस वृद्धि को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। विपक्षी दलों ने सरकार की इस नीति की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि चुनाव के तुरंत बाद इस प्रकार की वृद्धि जनता के साथ धोखा है। वहीं, सरकार का कहना है कि यह वृद्धि आवश्यक थी ताकि सड़कों की बेहतर देखभाल और विकास कार्यों को समय पर पूरा किया जा सके।
50 हजार करोड़ पहुंचा टोल संग्रह
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, टोल वाली सड़कों में तेजी से बढ़ोतरी और नए फास्टैग उपयोगकर्ताओं को जोड़ने के कारण वित्तीय वर्ष 2023-24 में टोल संग्रह 50,000 करोड़ रुपये (नवंबर 2023 तक) को पार कर गया। 2018-19 में टोल संग्रह 25,154.76 करोड़ रुपये था, 2019-20 में 27,637.64 करोड़ रुपये, 2020-21 में 27,923.80 करोड़ रुपये, 2021-22 में 33,907.72 करोड़ रुपये और 2022-23 में 48,028.22 करोड़ रुपये रहा। देश में कुल टोल सड़कों की लंबाई वित्त वर्ष 2019 में 25,996 किलोमीटर थी, जो वित्त वर्ष 2024 के नवंबर-अंत तक बढ़कर 45,428 किलोमीटर हो गई है। भारत में कुल सड़कों का नेटवर्क लगभग 66.71 लाख किलोमीटर है, जो दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा है।
टोल दरों में इस वृद्धि से साफ है कि चुनावी मौसम खत्म होते ही महंगाई की मार शुरू हो गई है। यह बढ़ोतरी आम जनता और परिवहन उद्योग दोनों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो रही है। आने वाले समय में इसका व्यापक असर देखने को मिल सकता है, जो आम जनजीवन को प्रभावित करेगा।
7 करोड़ से अधिक फास्टैग यूजर्स
देश में 30 नवंबर, 2023 तक 7.98 करोड़ से अधिक फास्टैग उपयोगकर्ता हैं। फरवरी 2021 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर सभी टोल प्लाजा की लेन को फास्टैग लेन घोषित करने के बाद टोल संग्रह में काफी बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों के अनुसार, एनएच टोल प्लाजा पर फास्टैग से औसत दैनिक संग्रह 147.31 करोड़ रुपये है और वित्त वर्ष 2023-24 (नवंबर 2023 तक) में एनएच टोल प्लाजा पर औसत दैनिक ईटीसी लेनदेन की संख्या 86.61 लाख रुपये है।